BIOGRAPHY OF ALFRED NOBEL – अल्फ्रेड नोबेल का जीवन परिचय

Alfred Bernhard Nobel was born in Stockholm, the capital of Sweden. Alfred was only nine when the family moved to Russia. He was interested in chemistry since childhood. After leaving Russia in 1850, he studied chemistry for one year in Paris and then the United States. Four years of higher studies in the US.

 

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Biography Of Alfred Nobel

Born - 21 October 1833,

Died - 10 December 1896

Not only did Nobel invent an explosive called dynamite, but he wrote a new tradition by writing a will to award annually to a person who made significant and outstanding contributions in five faculties with a sum of $ 9 million.

From there he again went to Petersburg, but after the bankruptcy of the father's factory in 1859, the father-son Sweden came back. There Nobel started experiments on explosives and set up a workshop near Hollenberg. Nobel's spirits were high but Darbhagya was following him. They manufactured explosives called nitro glycerin. One day there was an explosion that the workshop was blown. Five people, including Nobel's younger brother, died in the accident. The government of Sweden called Nobel mad and did not give permission to open the workshop again. The Nobel factory in Germany was also destroyed by the explosion. France-Belgium banned nitroglycerin due to multiple explosions. In 1896, he left behind a sum of 9 million dollars and bequeathed the prize for significant contributions to physics, chemistry, literature, medicine and peace (later also economics) every year from its interest.

Dynamite : In 1866, Nobel, a packaged nitroglycerin in soil called Keiselguhar, found that explosives do not explode due to soil and can be protected. This safe explosive was named dynamite. In 1887, he discovered the nidhum powder ballisterite of nitroglycerin. The whole world took it up. Nobel has a hundred on his explosives. Received more patents.

Alfred Nobel Biography in Hindi

अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल का जन्म स्वीडन की राजधानी स्टाकहोम में हुआ था। अल्फ्रेड नौ साल के ही थे कि परिवार रूस चला आया। रसायन में उनकी रुचि बचपन से ही थी। सन् 1850 में रूस छोड़ने के बाद उन्हान पेरिस में एक साल केमिस्ट्री का अध्ययन किया और फिर संयुक्त राज्य . अमेरिका में चार साल उच्च अध्ययन।

अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल जीवनी

जन्म-21 अक्टूबर, 1833

निधन-10 दिसंबर, 1896

नोबेल ने डायनामाइट नामक विस्फोटक का आविष्कार ही नहीं किया, वरन 90 लाख डॉलर की राशि के साथ पांच संकायों में महत्वपूर्ण व उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्ति को प्रतिवर्ष अवार्ड देने की वसीयत लिखकर नई परंपरा का सूत्रपात किया।

वहां से वे फिर पीटर्सबर्ग गए, मगर 1859 में पिता की फैक्टरी का दिवाला निकलने के बाद पिता-पुत्र स्वीडन लौट आए। वहां विस्फोटकों पर नोबेल ने प्रयोग शुरू किएँ और होलेनबर्ग के समीप वर्कशाप की स्थापना की। नोबेल के हौसले बुलंद थे किंतु दर्भाग्य उनका पीछा कर रहा था। वे नाइट्रो ग्लिसरीन नामक विस्फोटक का निर्माण करते थे। एक दिन ऐसा विस्फोट हुआ कि वर्कशाप के परखचे उड़ गए। हादसे में नोबेल के छोटे भाई समेत पांच व्यक्तियों की मौत हो गई। स्वीडन सरकार ने नोबेल को सिरफिरा करार दिया और पुनः वर्कशाप खोलने की आज्ञा नहीं दी। जर्मनी में भी नोबेल का कारखाना विस्फोट से तबाह हो गया। अनेक विस्फोटों के कारण फ्रांस-बेल्जियम ने नाइट्रोग्लिसरीन पर पाबंदी लगा दी। 1896 में अपने पीछे वे 90 लाख डॉलर की रकम छोड़ गए और वसीयत की कि इसके ब्याज से हर साल भौतिकी, रसायन, साहित्य, चिकित्सा और शांति (बाद में अर्थशास्त्र भी) में महत्वपूर्ण योगदान के लिए पुरस्कार दिया जाए।

डायनामाइट : सन् 1866 में कीसलगुहर नामक मिट्टी में पैक नाइट्रोग्लिसरीन रिसी तो नोबेल ने पाया कि मिट्टी की बदौलत विस्फोटक फटता नहीं और उसे सुरक्षित रखा जा सकता है। इस निरापद विस्फोटक का नाम डायनामाइट रखा। 1887 में उन्होंने नाइट्रोग्लिसरीन का निधूम पाउडर बैलिस्टराइट खोजा। इसे सारी दुनिया ने हाथों हाथ लिया। अपने विस्फोटकों पर नोबेल ने सौ से . ज्यादा पेटेंट प्राप्त किए।

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