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Essay on Albert Einstein

Dear children, siblings, we are going to tell you about such a great being who is alive even today, even after receiving death, leave the matter of many generations, till the creation of human vagina will continue in the whole world, people will continue to produce knowledge. If science and mathematics keep dissolving in anything, then they will be able to find them alive. Their name is Albert Einstein, who is still alive in America. He has kept his sister-in-law’s brain, which has been kept safe in Preston America, so you can think that the well is still alive tomorrow, it will be alive in all the generations to come alive Albert Einstein was born in a Jewish family in Moolm in Germany. His uncle was an engineer, so he woke him up in mathematics from childhood, which he gave to his father at the age of 5, because A compass and UC at the age of 12 Such geometry of the lid changed the world of Albert so that it has been said that any child should have the right education, the right direction, they should be so much God today only their uncle goes to the family, then people must definitely move on the path mentioned by people for some time. After his first success at Urik, he moved to enroll at the Swiss Federal Polytechnic School for the second year after his first success at Urique and was successful there in 1905. A PhD from the University and published five articles in international research journal on his research related to devotion, which earned him worldwide fame. After the second 40 years, the construction of the Atom Bomb was possible. His first paper was Fighter Electric Effect and the second at Brownian Speed In the third paper he presented the Theory of Relativity Theory of Relativity in the fourth. When he presented the idea of ​​the equivalent of mass and energy, then in the last, the photo theory of transmission of light was his basic premise that the speed of light is invariant in mass, the distance and time physical quantities change and the pain in energy and energy He can be converted into a fluid. He said that with a little pain and lover worship will be immersed which can be used in sarjan or sanghar. According to the formula, the mass of a substance from its mass to the speed of 186000 miles per second will receive energy equal to the math fruit i.e. the energy of combustion of 7000000 tons of dynamite from a substance after Hitler of Germany in 1933.

प्यारे बच्चों भाई बहनों हम ऐसे महान विभूति के बारे में बताने जा रहे हैं जो आज भी मृत्यु प्राप्त होने के बावजूद भी वह जिंदा है कई पीढ़ियों की बात तो छोड़िए जब तक पूरे वर्ल्ड में मनुष्य योनि की उत्पत्ति होती रहेगी लोग उत्पन्न होते रहेंगे उन्हें ज्ञान विज्ञान गणित किसी चीज का भी समा जाते रहेगा तो उनको जिंदा ही पाएगा उनका नाम है अल्बर्ट आइंस्टीन जो आज भी अमेरिका में उन्हें जिंदा के रूप में ही रखा गया है उनके भाभी मस्तिष्क को जो प्रेस्टन अमेरिका में सुरक्षित रखा गया है तो सोच सकते हैं कुआं आज भी जिंदा है कल भी जिंदा रहेंगे आने वाला हर पीढ़ियों में जिंदा रहेंगे अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म जर्मनी में मूलम में एक यहूदी परिवार में हुआ था उनके चाचा इंजीनियर थे इसलिए उन्हें गणित में अभिरुचि बचपन से ही जगा दी जो 5 वर्ष की उम्र में पिता के दिए क्योंकि ए कंपास और 12 की उम्र में यूक्लिड की ज्यामिति ऐसे परिचय अल्बर्ट की दुनिया को बदल डाली इसलिए कहा गया है कि किसी भी बच्चे को सही शिक्षा सही दिशा होनी चाहिए उनका आज इतना भगवान होना उनके चाचा परिवार पर ही जाता है तो लोगों के बताए रास्ते पर जरूर बढ़ना चाहिए कुछ समय इलाकों में रहने के बाद वह यूरिक में पहली सफलता के बाद दूसरे साल स्विस फेडरल पॉलिटेक्निक स्कूल में दाखिला लेने पहुंच गए और वहां सफल रहे 1905 में उन्होंने यूरिक विश्वविद्यालय से पीएचडी हासिल प्राप्त की और भक्ति से संबंधित अपने अनुसंधान पर अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका में पांच लेख छपा जिनसे उन्हें विश्वव्यापी ख्याति प्राप्त मिली दूसरे 40 वर्ष बाद एटम बम का निर्माण संभव हो सका उनका पहला पेपर फाइटर इलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट था तो दूसरा ब्राउनियन गति पर तीसरे पत्र में उन्होंने सापेक्षता का सिद्धांत थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी प्रस्तुत किए चौथे में उन्होंने द्रव्यमान और ऊर्जा की समतुल्य ता का विचार प्रस्तुत किया तो अंतिम में प्रकाश के संचरण का फोटो सिद्धांत उनके मूल आस्थापना थी कि प्रकाश की गति हर हाल में अपरिवर्तनीय है द्रव्यमान दूरी और समय भौतिक राशियां बदली बदलती रहती है और दर्द को ऊर्जा में तथा ऊर्जा को द्रव में बदला जा सकता है उन्होंने कहा कि थोड़े से दर्द से और प्रेमी पूजा का विसर्जन होगा जिसका उपयोग सिर्जन अथवा संघार में किया जा सकता है फार्मूले के मुताबिक पदार्थ से उसके द्रव्यमान को प्रकाश की गति 186000 मील प्रति सेकेंड के वर्ग से गणित फल के बराबर ऊर्जा प्राप्त होगी यानी एक पदार्थ से 7000000 टन डायनामाइट के दहन की ऊर्जा 1933 में जर्मनी के हिटलर होने के बाद वे अमेरिका चले गए